
ज्ञान सभा 2026
“भारतीय शिक्षा : समग्र विकास”
दिनांक: 24-25 जनवरी 2026
स्थान: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
एनआईटी दिल्ली

श्री चंद्रकांत बिड़ला जी,
अध्यक्ष, शासी निकाय, एनआईटी दिल्ली
डॉ.अतुल कोठारी जी
राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली
प्रो. अजय कुमार शर्मा जी, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
प्रो. (श्रीमती) पंकज मित्तल जी, अध्यक्ष, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं महासचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ
प्रो. रणविजय सिंह जी, प्रांत अध्यक्ष, जम्मू-कश्मीर प्रदेश
श्री संदीप कंवर जी, प्रांत अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश
प्रो. नित्या शर्मा जी, प्रांत अध्यक्ष, पंजाब प्रदेश
डॉ सतहंस जी, प्रांत अध्यक्ष, हरियाणा प्रदेश
प्रो. सतीश अवस्थी जी, वरिष्ठ प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय
डॉ विनोद कुमार जी, प्रांत अध्यक्ष उत्तराखंड प्रदेश
डॉ ओंकार सिंह जी, प्रांत अध्यक्ष, मेरठ प्रांत
डॉ रीता निगम जी , प्रांत अध्यक्ष, ब्रज प्रांत
डॉ अरुण कुमार शर्मा जी, चेयरमैन, गैलेक्सी ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन, जम्मू-कश्मीर प्रदेश
डॉ गजेंद्र पुंडीर जी, चेयरमैन, दीप ग्रुप का इंस्टीट्यूशंस, सहारनपुर उत्तर प्रदेश
डॉ मनोज चौहान जी, चेयरमैन, धर्मवीर ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस, नूरपुर बिजनौर, उत्तर प्रदेश
प्रो. लक्ष्मी धर बेहरा जी, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी, हिमाचल प्रदेश
डॉ बिनोद कुमार कनौजिया जी, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर, पंजाब प्रदेश
डॉ भोलाराम गुर्जर जी, निदेशक, राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़
डॉ बी वी रमन्ना रेड्डी जी, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र हरियाणा प्रदेश
डॉ नरेंद्र कुमार जी, कुलसचिव, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय, दिल्ली
डॉ संगीता शुक्ला जी, कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, उत्तर प्रदेश
प्रो. सचिन महेश्वरी जी, कुलपति, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
प्रो. हितेश शर्मा जी, कुलसचिव, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
श्री जगराम सिंह जी, संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तर क्षेत्र एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र
डॉ अक्षय शर्मा जी, प्रांत संयोजक, जम्मू कश्मीर प्रदेश
डॉ सुरेश शर्मा जी, प्रांत संयोजक, हिमाचल प्रदेश
डॉ समीर महाजन जी, प्रांत संयोजक, पंजाब प्रदेश
डॉ देवी भूषण जी, प्रांत संयोजक, हरियाणा प्रदेश
डॉ लक्ष्य छाबड़िया जी, प्रांत संयोजक, दिल्ली
डॉ अशोक मंडोला जी, संयोजक, उत्तराखंड प्रदेश
डॉ वीरेंद्र तिवारी जी, संयोजक, मेरठ प्रांत
डॉ मनु प्रताप जी, संयोजक, ब्रज प्रांत
डॉ सत्येंद्र कुमार जी, संरक्षक, जम्मू प्रांत
डॉ मेजर सिंह जी, संरक्षक, हरियाणा प्रदेश
डॉ नीरज तिवारी जी, संरक्षक, उत्तराखंड प्रदेश
डॉ हरेंद्र सिंह जी, संरक्षक, मेरठ प्रांत
डॉ राजकुमार शर्मा जी, संरक्षक, ब्रज प्रांत
डॉ शिव ओम जी, ब्रज प्रांत
संचालन समिति
डॉ योगेंद्र सिंह जी, मेरठ प्रांत, पालक
श्री सुरेश शर्मा जी, संयोजक
प्रो. हितेंद्र त्यागी जी, सह-संयोजक
डॉ विकास पोपली जी, सह-संयोजक
डॉ नीलम सिंह जी, सह-संयोजक
डॉ अक्षय शर्मा जी, सदस्य
डॉ विशाल जी आजाद, सदस्य
डॉ विकास तेजी जी, सदस्य
डॉ देवी भूषण जी, सदस्य
डॉ राजीव अग्रवाल जी, सदस्य
डॉ सुबोध जी, सदस्य
डॉ विवेक जी, सदस्य
डॉ लक्ष्य छाबड़िया जी, सदस्य
प्रो, रूपेश कुमार जी, महाप्रबंधक
डॉ. शैलेश एम पांडे जी,महाप्रबंधक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
डॉ. वी.एस.पांडेय जी, महाप्रबंधक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
प्रो.रूपेश कुमार जी, महाप्रबंधक, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
डॉ राजेश सिंह जी, सहायक प्राध्यापक, दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय, दिल्ली
डॉ राजबाला गौतम जी सहायक प्राध्यापक, अंबेडकर महाविद्यालय
श्रीमती स्वर्णिमा लूथरा जी, प्रधानाचार्य एएसएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली
श्री मदन प्रताप चौहान जी, प्रबंधक जनता मॉडर्न स्कूल दिल्ली
डॉ गजेंद्र प्रताप सिंह जी, सहायक प्राध्यापक, गणित विभाग, जेएनयू
प्रो.विनोद कुमार शानवाल जी, इंचार्ज मानोदर्पण सेल, एनसीईआरटी
डॉ शीतल कुमारी जी सहायक प्राध्यापक, दौलत राम, महाविद्यालय
डॉ मोहिनी जयसवाल जी सहायक प्राध्यापक, केशव महाविद्यालय
श्री चण्डी प्रसन्न नायक जी, सेवानिवृत अध्यापक
डॉ विभोर शर्मा जी सहायक प्राध्यापक, महाराजा अग्रसेन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
डॉ पियूष बंसल जी सहायक प्राध्यापक, स्टीफेन्स महाविद्यालय
डॉ अतुल गौतम जी सहायक प्राध्यापक, स्टीजामिया मिलिया इस्लामिया
अधिवक्ता राघवेंद्र शुक्ला जी, सर्वोच्च न्यायालय
अधिवक्ता कृष्ण कुमार जी, दिल्ली उच्च न्यायालय
श्रीमती अलका मुद्गल जी, प्राध्यापक, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा
डॉ महेश कौशिक जी सहायक प्राध्यापक, श्री अरबिंदो महाविद्यालय,
डॉ उर्वशी साहित्य जी सहायक प्राध्यापक, शिवाजी महाविद्यालय
डॉ. कपिल कुमार जी सहायक प्राध्यापक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
डॉ. अंकुर जी सहायक प्राध्यापक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
श्री अंकित शर्मा जी कार्यपालक अभियंता, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
श्री नमन शर्मा जी कनिष्ठ अभियंता, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
श्री कृष्णपाल जी वरिष्ठ तकनीशियन, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
ज्ञान सभा का उद्देश्य
भारतीय शिक्षा समग्र विकास का अर्थ है ऐसी शिक्षा जो व्यक्ति के शरीर, मन, बुद्धि, हृदय और आत्मा – सभी का समुचित विकास करे। भारत की प्राचीन शिक्षा परंपरा ने सदैव इस बात पर बल दिया कि शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति को केवल जीविका योग्य बनाना नहीं, बल्कि उसे जीवन योग्य बनाना है।
वैदिक काल में शिक्षा का केंद्र गुरुकुल व्यवस्था थी, जहाँ छात्र गुरु के सान्निध्य में रहकर विद्या, विनय, अनुशासन, आत्मसंयम, परोपकार, और सत्य जैसे जीवन मूल्यों का अभ्यास करते थे। उस समय की शिक्षा शरीर (कायिक), वाणी (वाचिक), मन (मानसिक) और आत्मा (आध्यात्मिक) – चारों स्तरों पर विकास का माध्यम थी। विद्यार्थी केवल वेद या शास्त्र नहीं पढ़ते थे, बल्कि धनुर्विद्या, कृषि, चिकित्सा, गणित, संगीत और योग जैसी विधाओं में भी निपुण होते थे। यह समग्र दृष्टिकोण उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सक्षम बनाता था।
आधुनिक काल में, अंग्रेजी शासन के प्रभाव से शिक्षा का स्वरूप धीरे-धीरे रोजगार-केंद्रित हो गया। इससे चरित्र निर्माण, मूल्यबोध और आत्मविकास के तत्व पीछे छूट गए। परिणामस्वरूप शिक्षा केवल बौद्धिक प्रशिक्षण तक सीमित रह गई, जबकि भारतीय चिंतन का लक्ष्य था – “सा विद्या या विमुक्तये” अर्थात जो मुक्ति प्रदान करे वही सच्ची विद्या है।
आज के संदर्भ में भारतीय शिक्षा को पुनः अपने प्राचीन आदर्शों से जुड़ने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) इसी दिशा में एक प्रयास है, जिसमें कौशल विकास, मूल्य शिक्षा, कला, विज्ञान, योग, पर्यावरण और जीवन कौशल को समान महत्व दिया गया है। यह नीति बाल्यावस्था से ही रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन और नैतिकता के विकास पर बल देती है।
समग्र शिक्षा का अर्थ यह भी है कि विद्यार्थी का विकास केवल मानसिक या बौद्धिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी हो। भारतीय दर्शन में इसे “पञ्चकोश विकास” कहा गया है – अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय कोशों का समुचित संतुलन।
अतः भारतीय शिक्षा की सार्थकता तभी है जब वह व्यक्ति को सत्य, अहिंसा, करुणा, सहयोग और आत्मनिष्ठा के मार्ग पर प्रेरित करे। ऐसी शिक्षा से ही एक संस्कारवान, आत्मनिर्भर और विश्वकल्याण की भावना से ओतप्रोत नागरिक का निर्माण संभव है। यही भारतीय शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य और समग्र विकास का आधार है।
निष्कर्षतः, भारतीय शिक्षा का लक्ष्य केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि आत्मोन्नति है – जहाँ विद्यार्थी “विद्या से विनय, विनय से पात्रता, और पात्रता से यश” प्राप्त करता है। यही समग्र विकास का भारतीय आदर्श है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र – तीनों के उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली का परिचय
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (एनआईटीडी) संसद के एक अधिनियम द्वारा वर्ष 2010 में स्थापित इकतीस एनआईटी में से एक है और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। एनआईटी दिल्ली एक स्वायत्त संस्थान है, जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करता है। एनआईटी दिल्ली को इंजीनियरिंग श्रेणी में एनआईआरएफ 2023 द्वारा 45वां स्थान दिया गया है। इसका उद्देश्य उन्नत शिक्षा और ज्ञान के प्रसार के लिए इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान और मानविकी के विभिन्न विषयों में शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करना है। एनआईटी दिल्ली का मिशन अत्यधिक बुद्धिमान और गहन नैतिक मानव संसाधन विकसित करना है, एक ऐसा कार्यबल जो रचनात्मक, प्रतिस्पर्धी और अभिनव हो। संस्थान अपने छात्रों में उच्च नैतिक मूल्यों को विकसित करने के साथ-साथ समग्र शिक्षा प्रदान कर रहा है।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का परिचय
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को भारतीय संस्कृति, संस्कार और जीवनमूल्यों के अनुरूप बनाना है। न्यास इस विश्वास पर कार्य करता है कि शिक्षा केवल रोजगार प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र निर्माण का आधार है। न्यास भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित विविध विषयों को आधुनिक शिक्षा में पुनः प्रतिष्ठित करने का प्रयास करता है।
इसका लक्ष्य भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनर्जीवित कर शिक्षा को “चरित्र निर्माण, समाज सेवा और राष्ट्रभक्ति” का माध्यम बनाना है। न्यास राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ऐसे शिक्षण संस्थान, शिक्षक और पाठ्यक्रम विकसित करने का कार्य करता है जो आत्मनिर्भर, संस्कारवान और नैतिक नागरिक तैयार करें। यह शिक्षकों, विद्यार्थियों और समाज के बीच संवाद स्थापित कर भारतीयता पर आधारित शिक्षा आंदोलन को गति प्रदान करता है।
संक्षेप में, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का उद्देश्य “भारतीय चिंतन आधारित, मूल्यनिष्ठ, आत्मनिर्भर और राष्ट्रहितकारी शिक्षा प्रणाली” का निर्माण करना है, जिससे भारत विश्वगुरु के रूप में पुनः प्रतिष्ठित हो सके।
विषय:
1.भारतीय शिक्षा : समग्र विकास
2.भारतीय शिक्षा कल, आज और कल
3.भारतीय शिक्षा की पुनस्थापन में अभिवावक, शिक्षक और विद्यार्थी
उप-विषय
◆ भारतीय शिक्षा: नारी
◆ भारतीय शिक्षा: तकनीकी
◆ भारतीय शिक्षा:स्वावलंबन
◆ भारतीय शिक्षा:पर्यावरण
◆ भारतीय शिक्षा: युवा
◆ भारतीय शिक्षा: संस्कार
◆ भारतीय शिक्षा: स्वास्थ्य
संपर्क सूत्र
डॉ. योगेंद्र सिंह जी 9411879402
डॉ. सुरेश शर्मा जी 7018503299
प्रो.रूपेश कुमार जी 9818901344
डॉ राजेश प्रसाद सिंह जी 9910361836
डॉ. शैलेश एम पांडे जी 8750111166
डॉ. वी.एस.पांडेय जी 8588848338
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